बालको के पुराने कर्मचारी वेदांता प्रबंधन की मनमानी के हो रहे शिकार, पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने केंद्रीय मंत्री को बताई हकीकत,बोनस और मेडिकल से भी किया जा रहा है वंचित

कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) के पुराने कर्मचारी वेदांता समूह के प्रबंधन की मनमानी और भेदभावपूर्ण नीतियों से परेशान हैं। इस मुद्दे को लेकर पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर कर्मचारियों की समस्याओं की ओर ध्यान दिलाया और केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है।

जयसिंह अग्रवाल ने पत्र में बताया कि वेदांता प्रबंधन पुराने कर्मचारियों की शिकायतों को अनदेखा कर रहा है। हाल ही में 150 से ज्यादा कर्मचारियों ने अपनी परेशानियां उनसे साझा कीं। ये कर्मचारी पहले कामगार श्रेणी में थे, लेकिन अब इन्हें E-0 (कार्यपालक) श्रेणी में रखा गया है। इससे उनका वेतन कम हो गया है, जिससे हर महीने उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है। साथ ही, उनकी वार्षिक बोनस की सुविधा भी बंद कर दी गई है। बालको अस्पताल की चिकित्सा सुविधा बंद होने से बुजुर्ग माता-पिता के इलाज पर भारी खर्च करना पड़ रहा है, जो मेडिक्लेम की सीमा से कहीं अधिक है।

कर्मचारियों का कहना है कि कार्यस्थल पर अधिकारियों द्वारा उन पर अनावश्यक दबाव बनाया जाता है और ओडिशा या राजस्थान में वेदांता की अन्य इकाइयों में स्थानांतरण की धमकियां दी जाती हैं। वे E-0 श्रेणी छोड़कर कामगार श्रेणी में वापस लौटना चाहते हैं, ताकि वेतन और बोनस का नुकसान न हो। लेकिन, बार-बार आवेदन देने के बावजूद उनकी मांगों पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

जयसिंह अग्रवाल ने केंद्रीय मंत्री से कहा कि कर्मचारियों को कार्यपालक बनने का कोई शौक नहीं है। वे कामगार श्रेणी में मिलने वाले लाभों से खुश हैं। उन्होंने मांग की है कि भारत सरकार, जो बालको में 49% हिस्सेदारी रखती है, वेदांता प्रबंधन की मनमानी पर रोक लगाए और कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान करे। कर्मचारियों को उम्मीद है कि केंद्रीय मंत्री उनकी मांगों को गंभीरता से लेंगे और बालको प्रबंधन को तुरंत कार्रवाई के लिए निर्देश देंगे।

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