नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में कल 16 नवम्बर को राजस्थान राज्य विद्युत निगम को आवंटित पीईकेबी कोयला खदान जिसे अडानी कंपनी संचालित कर रही है, की वन एवं पर्यावरण अनुमति रद्द करने संबंधी अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और डी.के. सोनी की याचिकाओं पर होने वाली सुनवाई 30 नवम्बर तक आगे बढ़ा दी गई। वस्तुतः केन्द्र सरकार ने इन याचिकाओं में अतिरिक्त शपथ पत्र प्रस्तुत करने हेतु सुनवाई आगे बढ़ाने का अनुरोध किया था।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश के अनुसार केन्द्र सरकार की ओर से हसदेव क्षेत्र में किये गये आईसीएफआरई (इंडियन काॅन्सिल फाॅर फाॅरेस्ट रिसर्च एवं शिक्षण) तथा डब्ल्यू आई आई (वाईल्ड लाईफ इन्टीट्यूट आॅफ इंडिया) की रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी गई थी। इसके आधार पर उक्त सुनवाई होनी थी। इस स्थिति में केन्द्र सरकार के द्वारा सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध करते हुये अतिरिक्त शपथ पत्र के लिये 3 सप्ताह का समय मांगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में 2 सप्ताह के लिये सुनवाई स्थगित की गई और 30 नवम्बर का दिन नियत किया गया है।
गौरतलब है कि पीईकेबी खदान के चरण 02 में स्थित 1136 हेक्टेयर वन भूमि में खनन न किये जाने की अनुशंसा डब्ल्यू आई आई के द्वारा की गई है। गत 26-27 सितबर को इस क्षेत्र के 43 हेक्टेयर वन में हजारों की संख्या में पेड़ कटाई की गई थी। जिसके बाद 12 अक्टूबर को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान राज्य विद्युत निगम और अन्य प्रतिवादियों से यह कथन लिया कि अगली सुनवाई तक अब पेड़ो की कटाई नहीं होगी। यह कथन 30 नवम्बर तक की सुनवाई के लिये भी कायम रहेगा। 16 नवम्बर की सुनवाई चीफ जस्टिस डी.वाई चन्द्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस जे.बी. पारदीवाला की खण्डपीठ में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांतभूषण और केन्द्र सरकार की ओर से साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता विशेष रूप से उपस्थित थे।