बिलासपुर सेन्ट्रल जेल की अव्यवस्था पर हाईकोर्ट सख्त: नशे के सामान की सप्लाई और अवैध वसूली पर जेल DG से मांगा जवाब

बिलासपुर/ छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सेन्ट्रल जेल बिलासपुर में चल रही अवैध गतिविधियों पर सख्ती दिखाई है। कैदियों के परिजनों की शिकायती पत्र को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने जनहित याचिका मानकर सुनवाई शुरू की है। डिवीजन बेंच ने मामले में जेल DG को शपथ पत्र के साथ जवाब मांगा है।

दरअसल, सेन्ट्रल जेल में दशहरा पर्व के दिन गैंगवार हुआ था। इस दौरान एक कैदी ने विचाराधीन बंदी पर हथियार से हमला कर दिया था। जेल प्रबंधन ने इस मामले को दबा दिया। मीडिया में खबर प्रकाशित होने के बाद अधीक्षक ने सख्ती से कार्रवाई करने के बजाय उल्टा पिटाई से घायल युवक को सेल में डाल दिया। फिर उसका जेल ट्रांसफर कर दिया गया।

परिजनों ने चीफ जस्टिस को लिखा पत्र, बताया कैसे होती है अवैध वसूली

इस घटना के बाद जेल में बंद कैदियों के परिजनों ने चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा को पत्र लिख कर जेल की अव्यवस्था की शिकायत की और मामले की जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की।

इसमें बताया गया कि जेल में बंद विराट अपहरण कांड के आरोपी अनिल सिंह को नियमों के खिलाफ चक्करदार नंबरदार बनाया गया है, जो अफसरों से मिलकर जेल में नशे का सामान बेचता है। पत्र में बताया कि गांजे की एक पुड़िया 500 रुपए, बीड़ी 200, तंबाकू 100 में बेची जा रही है। ऐसे ही प्रतिबंधित नशीली दवा नाइट्रा की एक टेबलेट 100 रुपए में बेचने का आरोप लगाया गया है।

कैदियों को घटिया भोजन देने का भी है आरोप

बंदियों के परिजनों ने जेल में परोसी जा रही भोजन की गुणवत्ता को लेकर भी चीफ जस्टिस से शिकायत की गई है। इसमें बताया गया है कि जेल में अच्छा खाना खिलाने के लिए बंदियों से 3500 रुपए हर महीने अलग से लिए जाते हैं।

इसके लिए जेल में बाबा के नाम से पहचाने जाने वाले जेल प्रहरी आलोक खरे से मिलने के लिए कहा जाता है। वहीं, सामान्य कैदियों को घटिया और गुणवत्ताहीन भोजन दिया जाता है। पत्र में जेल अधीक्षक से लेकर अन्य कर्मियों और जेल डीजी तक हिस्सा पहुंचाने का भी आरोप लगाया गया है।

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