मुझे बनना था SDM, मिला है तहसीलदार का पद,प्रयास जारी रखेगी प्रियांजलि

3 बार परीक्षा में सफलता न मिलने के बावजूद प्रियांजलि का हौसला नहीं डगमगाया

हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग (HPPSC) ने बुधवार को हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा (Himachal Pradesh Administrative Service) का परिणाम जारी किया है। इसमें ट्रांसगिरी क्षेत्र के आंजभोज के दिघाली गांव से ताल्लुक रखने वाली प्रियांजलि शर्मा ने तहसीलदार के पद पर सफलता पाई है। 3 मर्तबा परीक्षा में सफलता न मिलने के बावजूद प्रियांजलि का हौसला नहीं डगमगाया। लगातार मेहनत करती रही। इसके लिए खुद को परिवार से अलग कर सोलन में रहने लगी। लाइब्रेरी (library)में लगातार 8 घंटे पढ़ाई करती रही।

मुझे तो एसडीएम (SDM) बनना था। लेकिन तहसीलदार का पद हासिल हुआ है। फाइट जारी रखूंगी ताकि अपने ड्रीम (Dream) को पूरा कर सकूं। यह शब्द तहसीलदार बनी प्रियांजलि शर्मा के बातचीत के दौरान के हैं। प्रियांजलि ने कहा कि ओबीसी कैटेगरी (OBC Category) से संबंध रखती हूँ। लेकिन परीक्षा में ओबीसी कैटेगरी के लिए एचएएस (HAS) का पद नहीं था, लिहाजा अनारक्षित वर्ग में ही फाइट (Fight) करने का निर्णय लिया। तहसीलदार के पद से संतुष्ट नहीं हूं। यही कारण है कि तैयारी जारी रखूंगी ताकि अल्टीमेट गोल (ultimate goal) को हासिल किया जा सके।

पारिवारिक पृष्ठभूमि

तहसीलदार बनी प्रियांजलि के पिता प्रवीण कुमार लोक निर्माण विभाग (PWD) में क्लर्क के पद पर काबिज हैं। जबकि माता सरिता शर्मा जेबीटी (JBT) है। भाई निशांत शर्मा इस समय नालागढ़ में माइनिंग इंस्पेक्टर (mining inspector) के पद पर तैनात है। छोटा भाई पढ़ाई कर रहा है।

शैक्षिक पृष्ठभूमि

तहसीलदार के पद पर सफल हुई प्रियांजलि शर्मा ने आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई आदर्श बाल विद्या मंदिर स्कूल राजपुर में पूरी की थी। इसके बाद दून वैली इंटरनेशनल (Doon Valley International) स्कूल राजवन में शिक्षा प्राप्त की। स्कूली शिक्षा के बाद देहरादून के डीबीएस कॉलेज से नॉन मेडिकल में बीएससी की पढ़ाई पूरी की। ग्रेजुएशन (Graduation) के बाद से ही प्रियांजलि का फोकस हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा अधिकारी बनने का था। इसके लिए वह कड़ी मेहनत करने में जुट गई। माता-पिता व भाई का भी मार्गदर्शन मिलता रहा।

प्रियांजलि शर्मा ने परीक्षा में जुटे युवाओं को एक संदेश भी दिया है। उन्होंने कहा कि एकाग्रता (concentration) मूल मंत्र है। उदाहरण देते हुए प्रियांजलि ने कहा कि जब वह लाइब्रेरी में पढ़ाई कर रही थी तो लगातार 8 घंटे एकाग्रता बनाए रखती थी। सोशल मीडिया को टूल की तरह इस्तेमाल करना चाहिए। जानकारी एकत्रित कीजिए लेकिन समय की बर्बादी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सफर पूरा नहीं हुआ है। प्रियांजलि ने बताया कि पहले प्रयास में प्रारंभिक परीक्षा (preliminary examination) उत्तीर्ण नहीं हुई थी। दूसरे प्रयास में मैन्स तक पहुंची। तीसरे में साक्षात्कार में भी हिस्सा लिया था। आखिर में चौथा प्रयास सफल हुआ। प्रियांजलि ने कहा कि ग्रेजुएशन के बाद से ही यह सोच लिया था कि एचएएस अधिकारी (HAS Officer) बनना है। इसके लिए वह सालों से मेहनत कर रही थी। पूरी सफलता का श्रेय माता-पिता व शिक्षकों को दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *