बिलासपुर/ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस: ओम शांति सरोवर में “स्वयं और समाज के लिए योग” विषय पर 11वें दिन रूपाली बहन (योगा प्रशिक्षिका) ने चालन क्रिया में गर्दन की, स्कंध संचालन में कंधों की, कटी चालन में कमर की, एवं घुटना संचालन में घुटने की एक्सरसाइज कराई. भ्राता राकेश जी (सीनियर टीचर, प्रेम नगर) ने गरुड़ासन, वृक्षासन, अर्धचक्रासन, पादहस्तासन, भद्रासन, पवनमुक्तासन, वज्रासन, अर्द्धउष्ट्रासन, शसकआसन, उत्तान मंडूकासन, सेतुबंधासन, उत्तानपादासन, अर्द्धहलासन कराया एवं भ्राता राजवीर सिंह (हेल्थ ट्रेनर) ने प्राणायाम में अनुलोम विलोम, कपालभाति, शीतली प्राणायाम भ्रामरी प्राणायाम, ताड़ासन, भुजंगासन, धनुरासन, चक्रासन, नौकासन, वक्रासन, कटिबद्ध आसन, त्रिकोणआसन, मरकट आसन, अर्द्धमरकट आसन, तितली आसन… आदि कराया.
बीके छाया दीदी जी (ब्रह्माकुमारीज, उसलापुर सेवा केन्द्र मुख्य संचालिका ) ने राजयोग के बारे मे बताया कि हमारे जीवन में समस्याएं और संबंधों में तनाव और टकराव का मूल कारण कोई व्यक्ति या परिस्थिति नहीं है बल्कि सकारात्मक मनोदशा का अभाव है. जब मनुष्य के मन की दशा सकारात्मक होती है तो परमात्म अनुभूति होती है और मन की दशा नकारात्मक होती है तो मन ही जीवन में रोग, शोक, दुख का कारण बन जाता है. इसलिए मन को स्वस्थ और प्रसन्न बनाने वाला योग ही यथार्थ योग है और इससे ही जीवन में सुख, शांति और खुशी आती है. राजयोग द्वारा आत्म अनुभूति ही मन को नकारात्मक वृत्तियों से मुक्त करने का सर्वश्रेष्ठ मार्ग है.
उन्होंने आगे कहा कि 21 जून, 2015 को संयुक्त राष्ट्र संघ में ने ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ घोषित करके जीवन में योग के महत्व को पुनर्स्थापित किया है. वर्तमान समय में प्रचलित अधिकांश योगाभ्यास केवल शारीरिक योगाभ्यास बनकर रह गए हैं परंतु योग का वास्तविक अर्थ होता है आत्मा को मन, बुद्धि के तार परमात्मा से जोड़ना जिसे बुद्धि योग एवं राजयोग भी कहते हैं. राजयोग भारत का सबसे प्राचीन और परमात्मा द्वारा सिखाया गया योग है.
वर्तमान समय ऐसे ही योगाभ्यास की आवश्यकता है जो मनुष्य के मन को स्वस्थ और निरोगी बना सके. श्रीमद् भागवत गीता में यह बात स्पष्ट कहीं गई है कि ‘मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु और सबसे बड़ा मित्र उसका मन ही होता है’
सृष्टि के महापरिवर्तन की पावन बेला में स्वयं को नकारात्मक वृत्तियों से परिवर्तन कर एक नए सुखमय समाज की स्थापना के लिए कदम बढ़ाए सर्व मनुष्य आत्माओं का ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ के अवसर पर परमात्मा की ओर से यही शुभ संदेश है।