पब्लिक फण्ड सुरक्षित रहे,देश के नागरिकों के साथ धोखा न हो,नहीं तो भरपाई मुश्किल होती है, सहारा समूह और चिटफण्ड कम्पनीज़ के जाल में छत्तीसगढ़ की जनता फंस चुकी है और पैसा अभी तक नहीं मिला- शैलेश
बिलासपुर/ सेबी संस्था एक नियामक संस्था है और नियामक का काम यही होता है कि वो नजर रखे और जाँच करे कि देश का निवेश कहीं डूब न जाये और सरकारी फण्ड और पब्लिक फण्ड में बड़े बड़े घोटाले हो जाते है और फिर कुछ दिन बाद बात दब जाती है और निवेशकों को नुक़सान होता है।अगर हिंडनबर्ग की खबर सही है तो इसमें सरकारी संरक्षण भी हो सकता है और देश में एक बड़े घपले की संभावना है पहले भी हिंडनबर्ग द्वारा बड़ा खुलासा किया गया था और LIC के फण्ड को लेकर बड़ी बड़ी खबरें सामने आई थी लेकिन क्या हुआ आगे ?
हमारे देश में कई बार एसा हुआ है कि जनता ने विश्वास किया और बाद में धोखा मिला,उदाहरण सहारा समूह द्वारा देश की जनता के साथ धोखा किया और आज भी सहारा समूह में जिन लोगो ने पैसा लगाया वो आज तक नहीं मिला है और लगातार प्रधानमंत्री और मोदी सरकार ने नेताओं से सहारा समूह में पैसा लगाने वालों ने फ़रियाद करी लेकिन कोई समाधान नहीं मिला और पैसा भी नहीं मिला,इसी तरह से एसे कई स्कैम हुए है चिटफण्ड कमापनीज़ द्वारा लोगो का पैसा लगवाया गया और बीजेपी की सरकार ने कई चिटफण्ड कम्पनीज़ को प्रोत्साहित किया लेकिन वो कम्पनीज़ धोखेबाज निकली और आज भी छत्तीसगढ़ के लोगो का पैसा वापस नहीं मिला।सरकार कोई भी इन मामलों की ज़िम्मेदारी नहीं लेती है और पैसा भी वापस नहीं करवा पाती है बस जाँच जाँच में ही समय निकल जाता है।
पिछले कुछ महीनों से शेयर बाजार और म्यूच्यूअल फण्ड को लेकर बड़े बड़े समाचार रोज़ मीडिया में आते है और आकर्षणों से भरा खबर लोगो को आकर्षित करता है और एसे ही निवेशक अपनी मेहनत की कमाई लगा देते है और बाद में फिर धोखा मिलता है क्योंकि सब कुछ मार्केट रिस्क पर निर्भर होता है और मार्केट का रिस्क कई बात नये निवेशकों को तबाह कर देता है।
सरकार को अपना तंत्र मज़बूत रखना चाहिए देश के निवेशकों के साथ किसी प्रकार का खिलवाड़ न हो इसका ध्यान रखा जाना चाहिए और सरकारी फण्ड हो या पब्लिक फण्ड हो,किसी के साथ एसा धौखा न हो जिसकी भरपाई न हो सके।