मुंबई. साल 2021 में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से सेंसर हुई फिल्मों के लिए गुरुवार को दिए गए 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में जिस फिल्म ‘रॉकेट्री’ को साल की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला है, उसके निर्माता, निर्देशक और अभिनेता आर माधवन ने अमेरिका से फिल्म के सभी दर्शकों और शुभचिंतकों को हार्दिक धन्यवाद दिया है। ‘अमर उजाला’ की तरफ से फोन पर बधाई पाते ही माधवन ने शुक्रिया कहा और वह इस बात से भी खासे आह्लादित दिखे कि चंद्रयान 3 की सफलता के अगले ही दिन उनकी इस मेहनत को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला।
अभिनेता आर माधवन इन दिनों अमेरिका में अपनी एक शूटिंग के सिलसिले में हैं। फिल्म ‘रॉकेट्री’ उनके जीवन का एक बड़ा सपना रहा है। वह बताते हैं, ‘इस फिल्म को बनाना उनके लिए उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन की सबसे बड़ी चुनौती रही है। हालांकि, ये सारी दिक्कतें भी अंतरिक्ष वैज्ञानिक नंबी नारायणन के निजी संघर्ष के आगे कुछ भी नहीं हैं। ये फिल्म सिर्फ और सिर्फ नंबी नारायणन को मिले कष्टों को सुनने के बाद मैंने बनाने का फैसला किया था, मुझे कुछ नहीं पता था कि फिल्म कैसे बनेगी, इसके लिए धन कहां से आएगा और ये सिनेमाघरों तक कैसे पहुंचेगी?’ विज्ञापन
फिल्म ‘रॉकेट्री’ पूरी होने के बाद ये फिल्म सबसे पहले नंबी नारायणन और मैंने साथ देखी थी। उस दिन की याद करते हुए माधवन कहते हैं, ‘आपने फिल्म देखने के बाद जो प्रतिक्रिया दी थी, वह मुझे अब भी याद है।’ जुहू के माधवन के ऑफिस में ये फिल्म देखते हुए साथ की सीट पर बैठे नंबी नारायणन लगातार सिसक रहे थे। उनका अपना भोगा कष्ट जिस तरह से माधवन ने परदे पर जिया था, उसे लेकर भी वह बहुत अलग महसूस कर रहे थे। पूछने पर उन्होंने तब इतना ही कहा, ‘मैं जो महसूस कर रहा हूं, वह कह नहीं पा रहा हूं।’
फिल्म ‘रॉकेट्री’ के हिंदी संस्करण में शाहरुख खान ने भी एक विशेष भूमिका की है और फिल्म के अंत में खुद नंबी नारायणन भी परदे पर नजर आते हैं। फिल्म ‘रॉकेट्री’ को चंद्रयान 3 की सफलता के ठीक अगले दिन पुरस्कार मिलने को माधवन एक दैवीय संयोग मानते हैं। वह कहते हैं, ‘ये शायद ईश्वर का एक और संदेश है।’ 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में अपनी फिल्म को सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का पुरस्कार मिलने को आर माधवन ने ईश्वर का आशीर्वाद माना है और इस पुरस्कार को इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को समर्पित किया है। विज्ञापन
माधवन कहते हैं, ‘मैंने सोचा भी नहीं था कि ये फिल्म इतनी लंबी यात्रा करेगी। इस फिल्म को लेकर मैं कहां कहां नहीं गया। आधी दुनिया ये फिल्म घूम चुकी है। कान फिल्म फेस्टिवल में इसे जो प्रशंसा मिला। वह भी मैं कभी नहीं भूल सकता। और, ये सब इसलिए कि नंबी नारायणन जी ने मुझ पर भरोसा किया और उस भरोसे पर खरा उतरने के लिए मैंने पूरी मेहनत की।