कुपोषण दूर करने में मिलेट्स की होगी अहम भूमिका: प्रियंका गांधी

बस्तर में भरोसे का सम्मेलन

मिलेट मिशन के द्वारा छत्तीसगढ़ में सेहत और समृद्धि की नई पहल,प्रियंका गांधी ने किया निरीक्षण

राज्य के 10 जिलों में 12 लघु मिलेट प्रसंस्करण केन्द्र हो चुके हैं स्थापित

रायपुर। बस्तर के जगदलपुर में आयोजित भरोसे का सम्मेलन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व विशिष्ट अतिथि श्रीमती प्रियंका गांधी ने शासकीय विभागों के द्वारा लगाए गए विभिन्न स्टालों का निरीक्षण किया. स्टालों के निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री एवं विशिष्ट अतिथि मिलेट मिशन व मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के स्टाल पर रूके और बारीकी से इसका निरीक्षण किया. श्रीमती गांधी ने इस दौरान मिलेट्स प्रसंस्करण की जानकारी भी ली. विशिष्ट अतिथि ने मिलेट्स से बने उत्पादों की तारीफ करते हुए स्व सहायता समूह की महिलाओं से बातचीत की. स्व सहायता समूह की महिलाओं ने विशिष्ट अतिथि को मिलेट्स से बने उत्पादों से भरी एक डलिया भी भेंट की जिसे उन्होने सहर्ष स्वीकार किया।

मिलेट्स को बढ़ावा देने वाला देश का पहला राज्य

छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जहां मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में मिलेट्स को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में कोदो, कुटकी और रागी का ना सिर्फ समर्थन मूल्य घोषित किया गया अपितु समर्थन मूल्य पर खरीदी भी की जा रही है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के माध्यम से प्रदेश में कोदो, कुटकी एंव रागी का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित कर उपार्जन किया जा रहा है। इस पहल से छत्तीसगढ़ में मिलेट्स का रकबा डेढ़ गुना बढ़ा है और उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी हुयी है।

छत्तीसगढ़ में मिलेट्स यहां के आदिवासी समुदाय के दैनिक आहार का पारंपरिक रूप से अहम हिस्सा रहे हैं। आज भी बस्तर में रागी का माड़िया पेज बड़े चाव से पिया जाता है। छत्तीसगढ़ के वनांचलों में मिलेट्स की भरपूर खेती होती है। इसे देखते हुए मोटे अनाजों के उत्पादन और उपभोग को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर राज्य में मिलेट मिशन चलाया जा रहा है।

कुपोषण दूर करने में सहायक

छत्तीसगढ़ में शुरू हुए मिलेट मिशन का मुख्य उद्देश्य जिसका प्रमुख उद्देश्य प्रदेश में मिलेट (कोदो, कुटकी, रागी, ज्वार इत्यादि) की खेती के साथ-साथ मिलेट के प्रसंस्करण को बढ़ावा देना है। इसके अतिरिक्त दैनिक आहार में मिलेट्स के उपयोग को प्रोत्साहित कर कुपोषण दूर करना है।

प्रदेश में आंगनबाड़ी और मिड-डे मील में भी मिलेट्स को शामिल किया गया है। स्कूलों में बच्चों को मिड-डे मील में मिलेट्स से बनने वाले व्यंजन परोसे जा रहे है। इनमें मिलेट्स से बनी कुकीज, लड्डू और सोया चिक्की जैसे व्यंजनों को शामिल किया गया है।

मुख्यमंत्री सुपोषण योजना से अब तक 2 लाख 65 हजार बच्चे कुपोषण मुक्त हो चुके हैं और डेढ़ लाख महिलाएं एनीमिया मुक्त हो चुकी हैं.

नथिया-नवागांव में बड़ा प्रोसेसिंग प्लांट

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के नथिया-नवागांव में मिलेट्स का सबसे बड़ा प्रोसेसिंग प्लांट भी स्थापित किया जा चुका है, जो कि एशिया की सबसे बड़ी मिलेट्स प्रसंस्करण इकाई है। अब तक राज्य के 10 जिलों में 12 लघु मिलेट प्रसंस्करण केन्द्र स्थापित किए जा चुके हैं। गौठानों में विकसित किए जा रहे रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में मिलेट्स प्रोसेसिंग प्लांट लगाए जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर छत्तीसगढ़ विधानसभा में मिलेट्स से बने व्यंजनों को बढ़ावा देने के लिए दोपहर भोज का भी आयोजन किया जा चुका है। रायगढ़ जिले के खरसिया में बीते दिनों प्रदेश के पहले मोबाईल मिलेट कैफे ’मिलेट ऑन व्हील्स का शुभारंभ भी किया है। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों, फूड ब्लॉगर्स और युवाओं की यह पहली पसंद बन गए हैं।

छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत

छत्तीसगढ़ में मिलेट्स की खेती के लिए राज्य को राष्ट्रीय स्तर का पोषक अनाज अवार्ड 2022 सम्मान भी मिल चुका है। मिलेट मिशन के चलते राज्य में कोदो, कुटकी और रागी (मिलेट्स) की खेती को लेकर किसानों का रूझान बहुत तेजी से बढ़ा है। पहले औने-पौने दाम में बिकने वाला मिलेट्स अब छत्तीसगढ़ राज्य में अच्छे दामों में बिकने लगा है। बीते एक सालों में प्रमाणित बीज उत्पादक किसानों की संख्या में लगभग 5 गुना और इससे होने वाली आय में चार गुना की वृद्धि हुई है।

प्रदेश में कोदो, कुटकी और रागी की खेती का रकबा 69 हजार हेक्टेयर से बढ़कर एक लाख 88 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गया है। मिलेट उत्पादक किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना का लाभ भी दिया जा रहा है। इस किसानों को भी 9000 रूपए प्रति एकड़ की मान से आदान सहायता दी जा रही है।

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