• अक्सर विवादों में रहा मुंगेली महिला बाल विकास विभाग
• अचानक बड़े अधिकारियों को मैनेजमेंट खेल में इधर से उधर कर शीर्ष पद पर बैठाने का उठ चुका है मामला
• आंगनवाड़ी कार्यकर्ता नियुक्ति पर भारी भ्रस्टाचार होने की शिकायत
• पात्र अभ्यर्थियों द्वारा जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर हो रहा संदेह
मुंगेली। वैसे तो छत्तीसगढ़ राज्य महिला बाल विकास विभाग विभिन्न तरह की अनियमितता, भ्रष्टाचार से अछूता नही रहा है।छत्तीसगढ़ के विधानसभा में अधिकतर इसी विभाग के भ्रष्टाचार के सवाल लगते रहे हैं। अधिकारियों की पहले शिकायत फिर जांच और जब फाइनल मूवमेंट में कार्यवाही की गाज गिरनी तय होती है तब भी इस विभाग में सबसे ज्यादा मैनेजमेंट का खेल होते देखा गया है।
बता दे अनेको प्रामाणिक विसंगतियों के उजागर होने के बावजूद इस विभाग में अधिकांश अधिकारी कार्यवाही से बचने वो सब कुछ किए जो नही होना था।लेकिन जब महकमे के मुखिया ही किसी व्यक्ति विशेष को खुली छूट दे रखी हो तब उस विभाग का बंटाधार तय होता है। बावजूद इन विभागों के ऊपर जिला प्रशासन का डर देखा जाता है। मगर एक लंबे अरसे के बाद मुंगेली जिले के कुछ स्थानों में हो रही छोटी सी पद आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के नियुक्ति में धांधली, अनियमितता,पात्रतानुसार अनुसार अभ्यर्थी के चयन सूची में नंबर एक होने के बावजूद दावा आपत्ती अथवा अन्य मापदंड के बहाने किसी अन्य की नियुक्ति वो भी जिसने समय रहते विभाग की स्कूटनी तक सम्पूर्ण दस्तावेज प्रस्तुत न किए हो और उनकी नियुक्ति हो जाए तब अनियमितता होने के संदेह से पात्र लोगों द्वारा कलेक्टर की शरण ही अंतिम न्याय के लिहाज से पहुंचा जाता है मगर जब जिला प्रशासन ऐसे अनियमितता के लिए पुनः उन शिकायत को उसी अधिकारी को फॉरवर्ड कर दे जहां से अनियमितता होना परिलक्षित हो रहा हो तब तो पात्र अभ्यर्थियों के पास न्यायालय की शरण के अलावा कोई रास्ता समझ नही आता है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भले ही छोटा सा पद हो मगर मुंगेली जिले में जिस ढर्रे से अनियमितता होने की सुगबुगाहट दिख रही है वो भ्रस्टाचार एक बड़े सुनियोजित ढंग से होना नजर आ रहा है। अब देखना यह होगा कि शासन,प्रशासन से न्याय न मिलने के बाद सूक्ष्मता से कितने लोग भ्रस्टाचार अथवा अनियमितता उजागर करने माननीय उच्च न्यायालय के सहारे संबंधित अधिकारियों को कटघरे में खड़ा कर बड़े भ्रस्टाचार को उजागर कर सही मापदंड में नियुक्ति के लिए आगे आते हैं।
इसके पूर्व भी महिला एवं बाल विकास विभाग के संचालक के समक्ष विकासखंड के परियोजना अधिकारी की अनेको शिकायत हुई और लापरवाही एवं अनियमितता बरतने के आरोप में तत्काल प्रभाव से निलंबन की गाज न गिर दूसरा रास्ता अख्तियार कर दिया गया।
अनेकों परियोजना अधिकारी की हुई शिकायत
संचालनालय महिला एवं बाल विकास के समक्ष आंगनबाड़ी केन्द्र संचालन, महिला प्रताड़ना, जातिगत टिप्पणी, मुख्यालय में न रहना, वित्तीय अनियमितता, नियुक्ति प्रक्रिया में निर्धारित मापदंडों का पालन नहीं करना सहित जनप्रतिनिधियों के शिकायत अथवा कार्यवाही के लिए की अनुशंसा पर नजरअंदाज करने जैसे कई आरोप हैं। साथ ही परियोजना अधिकारी के विरूद्ध सीएम हेल्पलाइन में भी कई शिकायतें दर्ज हैं।