नई व्यवस्था: सड़क मरम्मत के लिए परफार्मेंस बेस्ड मेंटेनेंस कांट्रैक्ट, पायलट प्रोजेक्ट जल्द

रायपुर/ सड़कों की मरम्मत में देरी से बचने के लिए राज्य सरकार अब नई व्यवस्था लागू करने जा रही है। इसके तहत सड़कों के मेंटेनेंस के लिए भारत सरकार और दूसरे अन्य राज्यों में लागू परफार्मेंस बेस्ड मेंटेनेंस कांट्रैक्ट (पीबीएमसी) या आउटपुट एंड परफार्मेंस बेस्ड मेंटेनेंस कांट्रैक्ट (ओपीआरएमसी) सिस्टम लागू करने की तैयारी है।

राज्य के कुछ जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत यह व्यवस्था लागू की जाएगी। सफल रहने पर इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। उप मुख्यमंत्री व लोक निर्माण विभाग के मंत्री अरुण साव ने रविवार को प्रेस कांफ्रेंस करके यह जानकारी दी।

पीडब्लूडी मंत्री अरुण साव ने कहा कि बारिश में सड़कों के क्षतिग्रस्त होने की संभावना के अनुसार पूर्वानुमान के आधार पर सड़कों के मेंटेनेंस के लिए निविदाएं आमंत्रित की जाती हैं। निविदा के अनुसार ठेकेदारों का चयन कर मेंटेनेंस का काम किया जाता है। कई बार सड़क खराब रहती है लेकिन मेंटेनेंस के लिए एजेंसी उपलब्ध नहीं होने के कारण सड़कों के गड्‌ढे भरने व मेंटेनेंस में विलंब हो जाता है।

कई बार एजेंसी तय होने के बाद भी ठेकेदार समय पर मेंटेनेंस कार्य नहीं करते हैं। इससे बचने के लिए ही पीडब्लूडी विभाग द्वारा पीबीएमसी/ओपीआरएमसी पद्धति से सड़कों के मेंटेनेंस का पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने का निर्णय लिया गया है।

कंट्रोल रूम से देख सकेंगे सड़क कहां सही, कहां खराब

दरअसल, पीबीएमसी/ ओपीआरएमसी पद्धति में सड़कों का चयन कर 5 से 7 साल तक लगातार मेंटेनेंस के लिए एक ही एजेंसी तय कर दी जाती है। सड़क खराब होने या आकस्मिक सुधार के लिए तय एजेंसी द्वारा अनुबंधित निर्धारित समय सीमा में सड़क का सुधार किया जाता है।

सड़क का नियमित संधारण भी ठेकेदार द्वारा समय सीमा में किया जाता है। यदि ठेकेदार तय समय सीमा में सड़क के मेंटेनेंस का काम नहीं करता है तो विलंब प्रत्येक दिन के लिए पेनॉल्टी का प्रावधान है। प्रक्रिया की ऑनलाइन मॉनिटरिंग की जाती है। इससे कंट्रोल रूम में बैठकर ही देखा जा सकता है कि सड़क कहां अच्छी या खराब स्थिति में है।

वर्तमान दर के आधार पर एसओआर रेट उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने नए एसओआर रेट का विमोचन भी किया। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रचलित एसओआर 1 जनवरी 2015 से लागू है। उस समय इसमें 2014 में प्रचलित श्रमिकों की दर, सामग्री की दर एवं मशीनरी की दर शामिल की गई थी, जिनमें अब दस साल के बाद बहुत अधिक परिवर्तन आ चुका है। नवीन दर अनुसूची वर्तमान में प्रचलित श्रमिकों की दर, सामग्रियों की दर एवं मशीनरी की दर के आधार पर तैयार किया गया है।

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