नई दिल्ली। जनजातियों हिंसा की वजह से लंबे समय में चर्चा में बने मणिपुर से अब सुखद समाचार मिला है. प्रदेश के सबसे पुराने विद्रोही यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) ने बुधवार को स्थायी शांति समझौते पर साइन कर दिए हैं.केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करके इसकी जानकारी दी. गृह मंत्री ने X पर लिखा कि एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुई है. पूर्वोत्तर में स्थायी शांति स्थापित करने के मोदी सरकार के अथक प्रयासों में एक नया अध्याय जुड़ गया है. यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) ने आज नई दिल्ली में एक शांति समझौते पर साइन किए हैं.शाह ने आगे लिखा कि मणिपुर के घाटी स्थित सबसे पुराने आर्म्ड ग्रुप UNLF हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने पर सहमत हो गया है. मैं लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में उनका स्वागत करता हूं. शांति और प्रगति के रास्ते पर उनकी यात्रा के लिए मैं शुभकामनाएं देता हूं.
The peace agreement signed today with the UNLF by the Government of India and the Government of Manipur marks the end of a six-decade-long armed movement.
It is a landmark achievement in realising PM @narendramodi Ji’s vision of all-inclusive development and providing a better… pic.twitter.com/P2TUyfNqq1
— Amit Shah (@AmitShah) November 29, 2023
3 मई से भड़की थी हिंसा
अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 3 मई को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के बाद भड़की हिंसा के बाद से 180 से अधिक लोग मारे गए हैं. मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है. वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी (नागा और कुकी) की आबादी 40 प्रतिशत हैं. ये मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं.