शराब की ओवर रेटिंग से  शराब दुकान संचालकों  व आबकारी अधिकारियों की सोने पर सुहागा


रायपुर।
 राजधानी में शराब की ओवर रेटिंग का काला जाल फिर से बिछता नजर आ रहा है बता दें कि आदर्श आचार संहिता में मिली छूट के बाद अब शराब दुकान संचालकों के फिर से अच्छे दिन आ गए  हैं। शराब दुकान संचालकों के साथ साथ आबकारी अधिकारियों की भी मानो सोने पर सुहागा हो गया हैं। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि शराब दुकानों में हो रहे ओवर रेटिंग की जानकारी देने के लिए जब संबंधित अधिकारी को फोन पर सूचना देने के लिए  फोन लगाया जाता है  तो अधिकारी फोन नही उठाते ओवर रेटिंग करने वाले सुपरवाइजर या दुकान स्टाफ पर किसी भी तरह की कोई भी कार्यवाई नहीं होती है। सुपरवाइजर को किसी का डर ही नहीं ऐसा महसूस होता है क्योंकि जब उनसे पूछने की कोशिश की जाती हैं या कोई जानकारी लेने की बात कही जाती है तो वह साफ कहते हैं कि हमें कंपनी का आदेश है क्या सही मायने में इन सुपरवाइजरों को कंपनी ओवर रेट चलने के लिए परमिशन दे रही है?शराब दुकान, मांढर शराब दुकान के आबकारी अधिकारी नीलम सावंकर जी से भी फोन पर संपर्क साधने की कोशिश की पर उन्होंने भी हमारा कॉल उठाना उचित नहीं समझा शायद ना ही रिटर्न कोई कॉल किया फिर जब हमने आबकारी उपायुक्त मंजू कसेर जी से संपर्क करने की कोशिश की तो हमारी यह कोशिश भी नाकाम रही। अब बड़ा सवाल यह उठता है कि शराब दुकानों में हो रहे ओवर रेटिंग की शिकायत आम इंसान करे तो किस्से करे… क्योंकि अधिकारी जी तो मीडिया कर्मी के फोन का ही जवाब देने में असर्थ हैं ?बता दें कि राजधानी रायपुर के सडडू स्थित शराब दुकान, टिकरापारा शराब दुकान सहित राजधानी के  कई शराब दुकानों में धड़ल्ले से ओवर रेटिंग कर जेब गर्म किया जा रहा है। वहीं जब टिकरापारा स्थित शराब दुकान में हो रहे ओवर रेटिंग को लेकर हमारी टीम ने आबकारी अधिकारी अल्ताफ अहमद से फोन पर संपर्क करना चाहा तो अधिकारी ने हमारा फोन तक उठना जरूरी नहीं समझा वहीं जब हमने सडडू शराब दुकान, के आबकारी अधिकारी नीलम सावंकर  से भी फोन पर संपर्क साधने की कोशिश की पर उन्होंने भी हमारा कॉल उठाना उचित नहीं समझा शायद ना ही रिटर्न कोई कॉल किया फिर जब हमने आबकारी उपायुक्त मंजू कसेर जी से संपर्क करने की कोशिश की तो हमारी यह कोशिश भी नाकाम रही। अब बड़ा सवाल यह उठता है कि शराब दुकानों में हो रहे ओवर रेटिंग की शिकायत आम इंसान करे तो किस्से करे… क्योंकि अधिकारी जी तो मीडिया कर्मी के फोन का ही जवाब देने में असर्थ हैं ?

इससे यह पता चलता है कि शराब दुकान संचालक को अधिकारियों का पूरे तरह से सहयोग मिल रहा है?

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