लोरमी। नगर के सरस्वती शिशु मंदिर के सभागार में तीन दिवसीय श्री राम चरित्र मानस के अंतर्गत सुंदरकांड पर आधारित कथा का आयोजन किया गया।
कथा की विशेषता इस बात को लेकर रही की कथा वाचक नगर के ही होनहार किशोरावस्था में ही मानस कथा के क्षेत्र में उदयमान नक्षत्र पंडित अक्षत शर्मा रहे! पं.अक्षत सरस्वती शिशु मंदिर लोरमी के ही विद्यार्थी रहे हैं उन्होंने सार्वजनिक आयोजन के अंतर्गत लोरमी नगर में अपने जीवन के प्रथम राम कथा का प्रस्तुतीकरण किया उन्हें बाल्यकाल के दौरान ही मानस की चौपाइयों के माध्यम से अंताक्षरी प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार प्राप्त हो चुका है|
उन्होंने अपने प्रवचन में बताया कि किस प्रकार श्री हनुमान जी ने अपने बल बुद्धि व शालीनता का उपयोग करते हुए किस प्रकार सीता जी की खोज का कार्य प्रभु श्रीराम के लिए आसान किया| उन्होंने हनुमान जी को युवा पीढी के लिए एक मोटीवेटर के रूप में प्रस्तुत किया तथा विभिन्न दृष्टांतों के माध्यम से समझाया कि किस प्रकार अगर अपनी बुद्धि का उपयोग धैर्य तथा बल के साथ उचित समय अनुसार किया जाए तो किस प्रकार कठिन से कठिन कार्य भी आसान हो जाता है तथा उसमें सफलता प्राप्त होती है| श्री हनुमान जी ने सीता मां की खोज के दौरान रास्ते में आने वाली अनेक समस्याओं को कुशलतापूर्वक पार किया तथा अनेकानेक निशाचरों का वध करके समूचे लंका में आग लगा दी इस प्रकार से उन्होंने रावण को प्रभु श्री राम की शक्ति का एहसास करा दिया इससे रावण को भी समझ आ गया था कि उसका अंत करने वाला इस धरती पर अवतरित हो चुका है|
कथा में बड़ी संख्या में नगरवासी विशेषकर युवा तथा छात्र वर्ग की उपस्थिति रही कार्यक्रम को सफल बनाने में मनहरण सिंह राजपूत संतोष निषाद श्रवण सिंह राजपूत सारांश देव सिंह प्रखर द्विवेदी शुभांग सोनी समीर ध्रुव हरीश राजपूत पार्थ द्विवेदी नागेंद्र द्विवेदी आदि की महती भूमिका रही।