कर्नाटक :- लोकसभा चुनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंटरव्यू में देश में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण को “लूटने की कोशिश” करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर हमला बोला.पीएम मोदी ने जवाब देते हुए कहा, ‘आप कांग्रेस का इतिहास देखिए. यह मांग (आरक्षण के लिए) 1990 के दशक से उठाई जा रही है. देश में समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग है, जिसे लगता था कि उनके लिए कुछ किया जाना चाहिए, इसके लिए विरोध प्रदर्शन भी हुए. 1990 से पहले कांग्रेस ने इसका पूरा विरोध किया और इसे दबा दिया. फिर उन्होंने जो भी आयोग बनाये, जो भी समितियां बनायी, उनकी रिपोर्ट भी ओबीसी के पक्ष में आने लगी. वे इन विचारों को नकारते, अस्वीकार करते और दबाते रहे. लेकिन 90 के दशक के बाद, वोट-बैंक की राजनीति के कारण, उन्हें लगा कि कुछ किया जाना चाहिए.”
‘मुसलमानों को ओबीसी की कैटेगरी में डालना चाहती थी कांग्रेस’
पीएम मोदी ने कहा, “तो, उन्होंने पहला पाप क्या किया था? 90 के दशक में, उन्होंने कर्नाटक में मुसलमानों को ओबीसी के रूप में वर्गीकृत करने का निर्णय लिया. इसलिए, वे पहले ओबीसी को अस्वीकार कर रहे थे और दबा रहे थे, लेकिन राजनीतिक लाभ के लिए उन्होंने मुसलमानों को ओबीसी का लेबल दे दिया. कांग्रेस केंद्र से बेदखल हो गई. यह योजना 2004 तक रुकी रही. 2004 में जब कांग्रेस वापस आई तो उसने तुरंत आंध्र प्रदेश में मुसलमानों को ओबीसी कोटा देने का फैसला किया. कोर्ट में मामला उलझ गया. भारतीय संसद ने संविधान की मूल भावना के अनुरूप ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया था
‘2024 के कांग्रेस के घोषणापत्र पर मुस्लिम लीग का छाप’
पीएम मोदी ने कहा, “जब भारत का संविधान बनाया गया था, तब कोई भी आरएसएस या भाजपा के लोग मौजूद नहीं थे. बाबा साहेब अम्बेडकर, पंडित नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और हमारे देश के कई महापुरुष उपस्थित थे और उन्होंने लंबे चिंतन के बाद निर्णय लिया कि भारत जैसे देश में धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता है. लेकिन 2024 के चुनाव के लिए उनका घोषणापत्र देखिए. इस पर मुस्लिम लीग की छाप है, जिस तरह से वे संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं, जिस तरह से वे अंबेडकर का अपमान कर रहे हैं. एससी और एसटी के आरक्षण पर खतरे की तलवार लटक रही है.