बीजापुर। जिला मुख्यालय बीजापुर से लगभग 55 किमी दूर अबूझमाड़ से सटे भैरमगढ़ ब्लाक के “उसपरि” गांव शोर गुल से अलग थलग नजर आया. भैरमगढ़ में आगे बढ़ते सड़क पर नक्सली पर्चे पड़े थे, जिसमे विधानसभा चुनाव बहिष्कार का जिक्र था. कच्ची सड़क पर आगे बढते उसपरि गांव पहुंचे. ग्रामीण भरने वाले साप्ताहिक बाजार में मौजूद थे. जहां चुनाव प्रचार तो चुनाव की जरा सुगबुगाहट भी नही थी. ग्रामीण ठीक सामने साप्ताहिक बाजर उठने के बाद मुर्गा बाजार में रमने लगे थे. बाजार से ठीक पहले गांव के तिराहे पर सोसायटी और आंगनबाड़ी भवन है जिनपर हमारी नजर पड़ी, जिसकी दीवारों पर माओवादी संगठन की तरफ से काले पेंट से कांग्रेस-भाजपा जैसे प्रमुख रणनीतिक दल के लिए फतवे लिखे हुए थे.
नक्सल संगठन की तरफ से दीवारों पर दोनों दलों के लोगो को चुनाव प्रचार में आने पर मार भगाने, चुनाव का बहिष्कार करने की बात लिखी गई है. दिवारो पर लिखे नक्सलियों बीके संदेश की तस्वीरे उतार रहे थे. बावजूद पास ही गाड़ियों में अनाज, वनोपज लाद रहे व्यापारी-ग्रामीणों ने ना टोका ना रोका. अकेले उसपरि ही नही इसके रास्ते सरकारी स्कूल भवन की दीवारों में भी नारे नजर आये.
गौरतलब है कि यहां तीन दिन पहले गंगालूर इलाके चुनाव बहिष्कार का नारा देते सैकड़ो ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया था. जिसमे पुरुषों के मुकाबले महिलाएं अधिक संख्या में नजर आई थीं. यह प्रदर्शन संयुक्त पंचायत चुनाव बहिष्कार समिति के बैनर तले सम्पन्न हुआ था. इसकी खबर लगते प्रशासन के भी कान खड़े हो गए.
पर्चे से स्थानीय लोगो में दहशत
छत्तीसगढ़ में कही नक्सली तो कही ग्रामीणों के विरोध के बीच माओवादियों की पश्चिम बस्तर डिविजनल कमेटी सचिव मोहन के हवाले से जारी पर्चे में मतदान कर्मियों को सीधे तौर पर नक्सल आधार वाले इलाके में वोटिंग ना कराने की चेतावनी जारी की गई है. पर्चे के बाद संवेदनशील पोलिंग इलाको में पोलिंग पार्टियों की सुरक्षा बड़ा मुद्दा बना हुआ है.
हेलीकॉप्टर से जाएंगे मतदान दल
- बीजापुर-73
- कोंटा- 42
- दंतेवाड़ा-09
- नारायणपुर-18
- अंतागढ़-06
छत्तीसगढ़ में इस बार चुनाव के दौरान लगभग 60 हजार से ज्यादा जवान सुरक्षा की कमान संभालेंगे. खबर यह भी है कि संवेदनशील पोलिंग इलाको पर ड्रोन से निगरानी की जा रही है. बता दे कि बस्तर में चुनाव नक्सल हमले से अछूते नही रहे हैं. नक्सलियों के निशाने पर मतदान दल आ चुके है. 13 अप्रैल 2014 को बीजापुर बीके कुटरू इलाके में पोलिंग केबाद लौट रहे मतदान कर्मी की बस बारूदी विस्फोट की जद में आ गई थी. इस नक्सली हमले में 7 मतदान कर्मियों की मौत भी हुई थी, ऐसे में नक्सली फरमान के बीच 7 नवंबर को बस्तर की संवेदनशील विधानसभा में मतदान चुनाव आयोग के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं होगा.