रायपुर। राज्य स्तरीय युवा महोत्सव के दूसरे दिन साईंस कालेज मैदान के मुख्य मंच और दूसरा मंच में लोक नृत्यों की मनमोहक प्रस्तुति देखने को मिली। युवा कलाकारों ने पारंपरिक वेशभूषा में सुआ नृत्य और पंथी नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी।
मुख्य मंच में पांचों संभाग के 15 से 40 आयु वर्ग में कलाकारों द्वारा पंथी नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति हुई। पंथी नृत्य में रायपुर संभाग के प्रतिभागियों ने सतनाम पंथ के प्रवर्तक गुरु घासीदास जी के संदेशों को नृत्य- गीत के माध्यम से प्रस्तुत क़िया। बेरा बखत के मोल ना समझो समय बड़ा बलवान है…अर्थात जीवन में समय का बड़ा महत्त्व होता है इस इस संदेश के साथ नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। दूसरे क्रम में सरगुजा संभाग के सूरजपुर जिले के प्रतिभागियों ने नृत्य के माध्यम से पिरामिड बनाकर साहसिक प्रदर्शन कर गीत के माध्यम से संदेश दिए। उन्होंने सुमर लगाऊ तोर, वंदना ला सुन ले मोर, ज्ञान गंगा ज्ञान दाता गुरु बाबा मोर…..गीत गायन के साथ गुरु बाबा गुरुघासीदास का स्मरण करते हुए मनमोहक प्रस्तुति दी।तीसरे क्रम में दुर्ग संभाग के दुर्ग जिले के पंथी नर्तकों ने पिरामिड बनाक अद्भुत प्रस्तुति दी और अपने जोश एवं उल्लासपूर्ण नृत्य से लोगों को मंत्रमुंग्ध कर दिया। चौथे क्रम में बस्तर संभाग के कोंडागांव जिला और पांचवे और अंतिम प्रस्तुति बिलासपुर संभाग के जिला बिलासपुर के मस्तूरी विकासखंड के ग्राम रलिया के पंथी नर्तको ने दी।
कोंडागांव के दल ने सत्य के जोत जला के सतनाम बगराये, भक्त मन ला रद्दा दिखा के ज्ञान के दीप जलाए…..गीत के साथ बाबा गुरुघासीदास जी का चरणवन्दन कर पंथी नृत्य की प्रस्तुति दी। मांदर की ताल, सामूहिक रूप से कलाकरों के पैरों की लय, कलाकरों के जोश और उनके करतबों ने, पिरामिड बनाकर सलामी की प्रस्तुति ने दर्शकों को सहसा अपनी ओर आकर्षित किया। पंथी नृत्य में लड़कियों के समूह के जोशीले प्रदर्शन ने दर्शकों की भीड़ जुटाने में मुख्य भूमिका निभाई।
इसी प्रकार मुख्य मंच के समीप दूसरे मंच में छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय नृत्य सुआ नृत्य की प्रतियोगिता सुबह 9 बजे से शुरू हुई। 15 से 40 आयु वर्ग में सुआ नृत्य में प्रदेश के पांचों संभागो के प्रतिभागियों ने ऐसी प्रस्तुति दी कि दर्शक भी स्वयं को भी सुआ नृत्य के ताल-लय में समाहित महसूस करने लगे। सुआ नृत्य प्रतियोगिता में पहली प्रस्तुति रायपुर संभाग के बलौदाबाजार जिले से आए नृत्य दल द्वारा प्रस्तुत किया गया। दल की युवतियां सुआ नृत्य की पारंपरिक वेशभूषा से सज्जित, मोर पंख की कलगी एवं कौड़ी पटिया लगाकर सुआ नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। दूसरी प्रस्तुति बिलासपुर संभाग के सक्ति जिले से आए नृत्य दल द्वारा दिया गया। दल की युवतियों ने पारंपरिक वेशभूषा में श्रृंगार कर कौड़ी के करधन, सिक्का माला एवं रंग-बिरंगी कलगी लगाए हुए सुआ नृत्य की प्रस्तुति दी। तीसरा प्रस्तुति बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा, चौथी प्रस्तुति दुर्ग संभाग के खैरागढ़-छुईखदान-गंडई, पांचवी एवं अंतिम प्रस्तुति सरगुजा संभाग के सूरजपुर जिले से आए नृत्य दल द्वारा बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के संदेश के साथ सुआ नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी।