रायपुर:जीआर चंद्राकर (गेंदराम चंद्राकर) ये कुछ महीने पहले रायपुर के जिला शिक्षा अधिकारी थे। शहर के हर स्कूल में इनका खूब रौब हुआ करता था। शनिवार को मीडिया से नजर बचाते सिर झुकाए पुलिस कंट्रोल रूम में इन्हें लाया गया। पिछले कुछ दिनों से शिक्षा विभाग की घोटाले वाली डायरी का जिक्र प्रदेश में छाया हुआ था उसके रचयिता यही हैं। पूरा मामला फर्जी और मनगढंत निकला, पुलिस ने जीआर चंद्राकर को इसके साथी होम्योपैथी कॉलेज के सचिव संजय कुमार ठाकुर और टायपिस्ट कपिल कुमार देवदास को पकड़ा है।
रायपुर पुलिस के SSP प्रशांत अग्रवाल ने इन गिरफ्तारियों की जानकारी देते हुए कहा कि पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी चंद्राकर को रिटायरमेंट के बाद संविदा पर पोस्टिंग चाहिए थी। ये पोस्ट नहीं मिली तो इसने जिला शिक्षा अधिकारी ए.एन.बंजारा, संयुक्त संचालक के.सी.काबरा, तत्कालीन ओ.एस.डी. आर.एन. सिंह, ए.बी.ई.ओ. प्रदीप शर्मा और मंत्री के निज सचिव अजय सोनी के खिलाफ एक घोटाले की कहानी रच दी।
एक डायरी में मंत्री प्रेम साय टेकाम का नाम लिखकर हजारों कर्मचारियों से पोस्टिंग, ट्रांसफर के नाम पर रुपए लेने की बात लिखी। कुल 366 करोड़ के लेन-देन का जिक्र किया। एक शिकायत पत्र तैयार करके इसमें लोक शिक्षण संचालनालय के उप संचालक आशुतोष चावरे के नाम का इस्तेमाल किया। ये शिकायती पत्र कई अफसरों, मीडिया हाउस और नेताओं को डाक के जरिए भेज दिए।
2500 रुपए में रची साजिश
पुलिस के मुताबिक जीआर चंद्राकर ने घपले की शिकायत का फर्जी लेटर असली लगे इसके लिए अपने साथी कपिल कुमार की मदद ली। कपिल को अफसर आशुतोष चावरे के नाम से शिकायत टाईप करने और उप संचालक लोक शिक्षण के नाम से सील (रबर) तैयार करने के लिए 2500 रुपए दिए। इसी के आधार पर फर्जी शिकायती पत्र तैयार करके वायरल किया गया।
चंद्राकर ने अपने साथी संजय सिंह के साथ मिलकर कई लोगांे का नाम लिखकर लेन-देन की बात एक डायरी में लिखी, बाद में इस डायरी को जलाकर नष्ट कर दिया। कुछ दस्तावेज संजय के पास ही थे, जिसे पुलिस ने बरामद कर लिया है। चूंकि खुद चंद्राकर शिक्षा विभाग में अफसर था, उनसे ट्रांसफर, पोस्टिंग में उन्हीं कर्मचारियों और अफसरों के नाम का इस्तेमाल किया जिनका असल में ट्रांसफर या पोस्टिंग की गई है, ताकि मामला असल लगे।