चंद्र ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए गर्भवती महिलाएं करें ये उपाय

हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है. पूजा पाठ के इसे उत्तम माना जाता है. वहीं अश्विन पूर्णिमा के दिन पड़ने वाला चंद्रग्रहण बेहद ही खास रहने वाला है. इस माह की अश्विन पूर्णिमा 28 और 29 अक्टूबर की मध्य रात्रि को पड़ रही है. इस दिन चंद्रमा पूरे भारत में खंडग्रास के रूप में दिखाई देगा. ज्योतिष के जानकारों के अनुसार इस दिन चंद्रग्रहण मध्यरात्रि को 1 बजकर 5 मिनट पर प्रारंभ हो जाएगा. वहीं यह रात के ही 2 बजकर 24 मिनट तक रहेगा. कल लगने जा रहा चंद्रग्रहण भारत के लगभग सही इलाकों में दिखाई देगा.हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है. पूजा पाठ के इसे उत्तम माना जाता है. वहीं अश्विन पूर्णिमा के दिन पड़ने वाला चंद्रग्रहण बेहद ही खास रहने वाला है. इस माह की अश्विन पूर्णिमा 28 और 29 अक्टूबर की मध्य रात्रि को पड़ रही है. इस दिन चंद्रमा पूरे भारत में खंडग्रास के रूप में दिखाई देगा. ज्योतिष के जानकारों के अनुसार इस दिन चंद्रग्रहण मध्यरात्रि को 1 बजकर 5 मिनट पर प्रारंभ हो जाएगा. वहीं यह रात के ही 2 बजकर 24 मिनट तक रहेगा. कल लगने जा रहा चंद्रग्रहण भारत के लगभग सही इलाकों में दिखाई देगा. चंद्र ग्रहण के सूतक काल लगने के साथ ही गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए. माना जाता है कि ग्रहण का नकारात्मक असर शिशु पर भी हो सकता है. ग्रहण की छाया तक गर्भ में पल रहे शिशु को नुकसान पहुंचा सकती है. पर इस प्रभाव से बचने के लिए गर्भवती महिलाएं ग्रहण के दौरान कुछ उपाय कर सकती हैं जिससे ग्रहण का प्रभाव उन पर और बच्चे पर न पड़ें. आइए जानते है आखिर क्या है उपाय

ग्रहण के दौरान करें यह उपाय (Chandra Grahan me Grabhvati Mahilayen Kya Kare)

धार्मिक ग्रंथ का पाठ

चंद्र ग्रहण के सूतक लगने से पहले गर्भवती महिला को सिर से पैर तक अपनी लंबाई का एक धागा लेकर उसे एक स्थान पर टांग देना चाहिए. ग्रहण काल खत्म होने के बाद उसे नदी या किसी बहते जल में प्रवाहित कर दें. माना जाता है कि इससे गर्भवती महिला और शिशु पर ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता. ग्रहण काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को रामचरितमानस या किसी धार्मिक ग्रंथ का पाठ करना चाहिए.

तुलसी का उपयोग

तो ये तो बातें हुई ग्रहण काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को क्या-क्या नहीं करना चाहिए. ग्रहण काल से पहले बने हुए भोजन में तुलसी के पत्ते या खुशा की खास डाल दें और इसी तरह पानी और दूध में भी ऐसा ही करें. तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होने के कारण ये ग्रहण की हानिकारक किरणों के प्रभाव को खत्म करती है. गर्भवती महिलाओं को अपने पेट पे तुलसी और गोबर का लेप लगाना चाहिए. ग्रहण काल में बाहर ना निकले और यदि कोई घर का सदस्य ग्रहण काल में घर से बाहर जाए तो उनकी सुरक्षा के लिए उनके साथ तुलसी का पत्ता अवश्य रखे.

मंत्र उच्चारण

ग्रहण काल के दौरान मंत्र उच्चारण करना चाहिए, आप गायत्री मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं, हनुमान चालीसा, दुर्गा चालीसा का पाठ कर सकते हैं. कहते हैं कि चंद्र ग्रहण के समय किया हुआ मंत्र जाप एक लाख गुना अधिक लाभ देता है और इसी तरीके से सूर्य ग्रहण के समय किया गया मंत्र जाप दस लाख गुना लाभ देता है. ध्यान है कि ये कार्य आप घर के मंदिर में ना करें.

गर्भवती महिला को स्नान अवश्य करना चाहिए

ग्रहण काल से पहले और बाद गर्भवती महिला को स्नान अवश्य करना चाहिए और कपडे बदल लेने चाहिए ग्रहण के बाद पूरे घर में गंगाजल छिड़क दें जिससे कि पूर्ण घर की शुद्धि हो जाए.

ताज़ा भोजन ही ग्रहण करें

गर्भवती महिलाएं  ग्रहण के बाद ताजा बना हुआ भोजन करें.

इस तरीके से यदि गर्भवती महिलाएं ग्रहण काल के दौरान इन सभी नियमों का पालन करती हैं तो ग्रहण के दौरान इसके दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है.

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