रायपुर. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को मिली हार के बाद संगठन में कई बदलावों की चर्चा है. चर्चा इस बात को लेकर है कि क्या छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष को बदला जाएगा ? अगर ऐसा हुआ तो फिर भूपेश बघेल ही कांग्रेस की कमान संभालेंगे ? और सबसे अहम यह कि संगठन में बदलाव क्या जल्द ही होने वाला है या फिर अभी इसके लिए मौजूदा अध्यक्ष के कार्यकाल खत्म होने तक का इंतजार किया जाएगा ? राजनीति में रुचि रखने वाले लोग यही जानना चाहते हैं कि भूपेश बघेल की भूमिका प्रदेश में क्या होगी ? फिलहाल इसका सही और सटीक जवाब किसी के पास नहीं है. संगठन से जुड़े बहुत से लोग हैं जो भूपेश बघेल को प्रदेश अध्यक्ष के रूप में फिर से देखना चाहते हैं. लेकिन भूपेश बघेल के मन में क्या चल रहा है या राष्ट्रीय नेतृत्व के मन में क्या यह अभी तक खुलकर सामने नहीं आया है. ऐसे में सियासी चर्चा अभी सिर्फ सियासी है, कयासों में है.वैसे एक चर्चा यह भी है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर संगठन में फेरबदल जल्दी कर सांसद चुनाव नहीं लड़ने वाले किसी नेता को संगठन की बागडोर सौंप दी जाए. इस फार्मूले पर राय एक बनी तो इस स्थिति में दीपक बैज को अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ सकता है, क्योंकि माना जा रहा है कि बस्तर लोकसभा से बैज ही चुनाव लडेंगे. संभव है कि पार्टी भूपेश बघेल को संगठन की जिम्मेदारी देकर लोकसभा को मजबूती से लड़ना चाहेगी. लेकिन मौजूदा बदलाव से पहले नेता-प्रतिपक्ष का चयन अहम है.छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष का नेता कौन होगा ? इस सवाल का जवाब भी किसी एक नाम पर आकर नहीं रुकता. नेता-प्रतिपक्ष को लेकर 35 विधायकों में आधा दर्जन विधायकों के नाम की चर्चा है. पहले नंबर पर डॉ. चरण दास महंत का है. डॉ. महंत अविभाजित मध्यप्रदेश में गृहमंत्री रह चुके हैं, छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके हैं, विधानसभा अध्यक्ष भी रहे हैं. संसदीय ज्ञान के जानकार हैं. सभी विधायकों में सबसे अनुभवी राजनेता हैं. डॉ. महंत के बाद भूपेश बघेल, उमेश पटेल, लखेश्वर बघेल और कवासी लखमा जैसे नाम भी चर्चा में शामिल हैं.फिलहाल इन तमाम चर्चाओं के बीच छत्तीसगढ़ के नेताओं और कार्यकर्ताओं की निगाहें आज दिल्ली में आयोजित कांग्रेस की समीक्षा बैठक पर है.