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डीएम साहब देखिए….महिला वंदन योजना वाले विभाग के अफसर कलेक्टर का डर दिखाकर कर रहे म​हिला अधिकारी को प्रताड़ित, कैसे आएगा सुशासन

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मुंगेली। कहने को तो मूँगेली ज़िला प्रशासन में सब कुछ सही बताया जा रहा है बाक़ायदा शासन की योजनाओं के क्रियान्वयन हो या फिर अतिमहत्वपूर्ण चुनाव के जागरूकता कार्यक्रम बड़े अच्छे ढंग से हो रहे हैं। इन सबके बावजूद ज़िला प्रशासन में आधारभूत कामों के लिए जो व्यवस्था रखी जानी चाहिए या कहे शासन में अपने आदेश से क्रियान्वयन के लिए व्यवस्था दी है, उस व्यवस्था में कुछ विभाग में लंबे समय से जमें भ्रष्ट अफ़सर कलेक्टर को लगातार गुमराह कर अपने विभाग में तुग़लक़ी फ़रमान चला रहे हैं।

विभाग के खटराल अफसर ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों अथवा कर्मचारियों का शोषण अथवा उनके अधिकार कर्तव्य को मज़ाक़ बनाकर रख दिया गया है। ये अधिकारी अपने ढर्रे से बनाये व्यवस्था को बनाए रखने के लिए अधीनस्थ अधिकारियों की सीधे कलेक्टर द्वारा अग्रिम कार्यवाही आदेश ना करना बताकर अपनी मनमानी ही चला रहे हैं। जिससे कुछ विभागों की हक़ीक़त धीरे धीरे बाहर आने लगी है।

मुंगेली ज़िले का महिला एवं बाल विकास विभाग विगत दो वर्षों से इसी ढर्रे में संचालित किया जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है इस विभाग के बड़े अधिकारी सुरेश सिंह पर भ्रष्टाचार की अनेक शिकायतें,जाँच लंबित हैं। शिकायत के बाद इनका ट्रांसफर बिलासपुर से सुकमा किया गया था। मगर वो मेडिकल आधार पर राजधानी चक्कर लगा लगा कर आखिरकार अपना स्थानांतरण पिछली कांग्रेस की सरकार में मुंगेली कराने सफल रहे।

अब उनके विभाग में अनेक ऐसे अधीनस्थ अधिकारी कर्मचारी है जो इनकी तुग़लक़ फ़रमान का लंबे समय से पीड़ा झेल रहे हैं। यदि कोई अधीनस्थ अधिकारी अपने अधिकारों अथवा कर्तव्य सहित जब महिला एवं बाल विकास अधिकारी के समक्ष अर्ज़ी लगा रहा हो तब कलेक्टर के बहाने उन्हें प्रताड़ित कर मुंह बंद रखने की नसीहत देकर चलता कर दिया जा रहा है। ऐसे में अब चुनाव आचार संहिता निपटते ही मूँगेली ज़िले में महिला एवं बाल विकास विभाग के कर्मकांडों के बड़े भ्रष्टाचार व शिकायतों का भंडाफोड़ होने वाला है।

इसके अलावा ज़िला पंचायत के ज़िला कार्यक्रम अधिकारी के कमीशन खोरी की शिकायतें दर्जन पंचायत प्रतिनिधियों ने सीधे राज्य निर्वाचन आयोग से की है। बावजूद चर्चा यह सुनने को मिल रही है कि जिस भ्रष्ट ज़िला कार्यक्रम अधिकारी के ख़िलाफ़ लंबी शिकायत हुई है उसी को बचाने कुछ पंचायत प्रतिनिधियों से ही दबाव पूर्वक शिकायत के विरुद्ध स्पष्टीकरण लेकर भ्रष्ट अधिकारी को बचाने क़वायद हो रही है। ऐसा भी नहीं कि इन सब की खबर से ज़िला प्रशासन बेख़बर हो मगर समय रहते व्यवस्था नहीं सुधरी तो इन सब अव्यवस्थाओं का ठीकरा फूटना तय माना जा रहा है।

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