हेलीकॉप्टर हादसे में कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी में सामने आई ये वजह

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    नई दिल्ली: देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) समेत अन्य कई लोगों की जान के लिए काल बने आठ दिसंबर को हुए हादसे की जांच में फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वाइस रिकॉर्डर का विश्लेषण पूरा हो गया है।

    तीनों सेवाओं की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी ने अपनी शुरुआती जांच में इन रिकॉर्डिंग का विश्लेषण किया। इसने हादसे के कारण को मैकेनिकल समस्या, नुकसान अथवा लापरवाही बताया है। भारतीय वायु सेना ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

    वायु सेना ने कहा कि यह हादसा मौसम में अचानक बदलाव की वजह से बादलों में जाने के परिणामस्वरूप हुआ था। बादलों में जाने की वजह से पायलट रास्ते को लेकर भ्रम का शिकार हो गया था। जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी ने कुछ सिफारिशों भी की हैं जिनकी फिलहाल समीक्षा की जा रही है।

    भारतीय वायु सेना ने एक बयान जारी कर कहा कि जनरल बिपिन रावत के हेलीकॉप्टर का हादसा किसी साजिश, यांत्रिक विफलता, लापरवाही की वजह से नहीं हुआ। हेलीकॉप्टर हादसे की जांच के लिए गठित कोर्ट ऑफ इन्कवायरी की अगुवाई एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह कर रह हैं। वह फिलहाल वायु सेना के बेंगलुरु प्रशिक्षण कमान के प्रमुख हैं जिसे देश विमान हादसों की जांच के लिए बेहतरीन माना जाता है। वे इससे पहले वायु सेना मुख्यालय में डीजी थे और उन्होंने विमान सुरक्षा पर कई प्रोटोकॉल तैयार किए।

    आठ दिसंबर 2021 को हुआ था हादसा

    दरअसल, बीते साल आठ दिसंबर को वायु सेना का एमआई-17 हेलीकॉप्टर तमिलनाडु के कुन्नूर में हादसे का शिकार हो गया था। इस दुर्घटना में सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधूलिका रावत और 12 अन्य सैन्य अधिकारियों की भी मौत हो गई थी।

    चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की भूमिका में जनरल बिपिन रावत देश की तीनों सेनाओं के एक साथ मिलकर काम करने की क्षमताओं पर काम कर रहे थे। सेना के तीनों अंगों के आधुनिकीकरण के क्षेत्र में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी।

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